न्यूज वाणी ब्यूरो/ज्योति सिंह
बाँदा- प्रवासी मजदूरों की मुश्किलें बढ़ी बॉर्डर पर रोक रही पुलिस लेकिन नहीं मिल रहा खाना बड़ों के साथ नौनिहाल भी बॉर्डर में भूखे प्यासे फंसे नहीं मिल रहा दूध स्थानीय प्रशासन ने नहीं ली मासूमों की सुध उत्तर प्रदेश के औरैया जनपद में हुए सड़क हादसे के बाद प्रदेश सरकार अलर्ट हो गई है जिसको देखते हुए पैदल व अन्य साधनों में आने वाले प्रवासी मजदूरों पर अंधेरा होते ही रोक लगाने का निर्णय लिया गया है इस निर्णय के बाद प्रवासी मजदूरों को काफी दिक्कत और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है फिलहाल जो प्रवासी मजदूर युवावस्था में हैं उन्हें तो ज्यादा समस्याएं नहीं उठानी पड़ रही हैं लेकिन जिन मजदूरों के साथ मासूम बच्चे भी शामिल हैं उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है रास्ते में उन मजदूरों के बच्चों को ना तो समय से दूध मिल पा रहा है और ना ही भोजन की सामग्री जिस कारण से उन्हें आधा पेट ही भूखा रहकर सफर तय करना पड़ रहा है चैनल की टीम के माध्यम से जब प्रदेश सरकार के आदेशों की ग्राउंड जीरो पर पड़ताल की गई तो बहुत से हैरत करने वाले मामलंे सामने आए हैं हमने जब जनपद के बॉर्डर ओं में जाकर प्रवासी मजदूरों के हालात जानने का प्रयास किया तो उनके हालात बद से भी बदतर दिखाई दिए प्रवासी मजदूरों की तमाम गाड़ियों में बच्चे भी मिले और जब उन मजदूरों से उन बच्चों के हालात के बारे में जाना तो उन्होंने बताया कि हमारे बच्चे कई दिनों से आधा पेटी दूध पीकर गुजारा कर रहे हैं जब इस बात को हम लोगों ने सुना तो हम लोगों का कलेजा भी रो पड़ा उन बच्चों की भूख बर्दाश्त ना करते हुए पत्रकारों की टीम के द्वारा उन भूख से बिलखते बच्चों को दूध का इंतजाम करने का काम किया गया जबकि उन मासूम बच्चों के खाने के इंतजाम के लिए मीडिया के द्वारा पुलिस से भी मिन्नतें की गई लेकिन पुलिस ने भी उन बच्चों की मदद करने से साफ तौर से इंकार कर दिया और शासन के आदेशों का हवाला देने लगे तब मीडिया के कर्मियों ने पास के गांव में जाकर लोगों के घरों से दूध मांग कर उन भूखे बच्चों को दूध पिलाने का काम किया कहीं ना कहीं महामारी की वजह से इन मजदूरों की कमर तो टूटी गई थी रही सही कसर सरकार व जिन साधनों से प्रवासी मजदूर आ रहे थे उन्होंने तोड़ दी ऐसे हालात में इन प्रवासी मजदूरों को जानवरों की तरह इन साधनों में भर कर आना पड़ रहा है जब रास्ते में चल रहे और मजदूरों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हम लोगों ने कई बार ऑनलाइन टिकट भी किया था लेकिन हमारे सारे टिकट भी कैंसिल हो गए थे जिस वजह से हम लोगों को यह प्राइवेट साधन करते हुए जानवरों की तरह भर कर आना पड़ रहा है
प्रवासी मजदूरों की मुश्किलें बढ़ी बॉर्डर पर रोक रही पुलिस लेकिन नहीं मिल रहा खाना